दमोह में ओबीसी युवक से जबरन पैर धुलवाए, फिर वही पानी पिलाया — इंसानियत पर कलंक!
कैसे घटी यह शर्मनाक घटना, और क्यों उबल रहा है ओबीसी समाज – अब तक क्या कहा राजनीतिक दलों और संगठनों ने

दमोह (मध्यप्रदेश)
मध्यप्रदेश के दमोह ज़िले में घटी यह अमानवीय घटना अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुकी है। ओबीसी वर्ग से आने वाले युवक पुरुषोत्तम कुशवाहा के साथ जो कुछ हुआ, उसने न केवल इंसानियत को झकझोर दिया, बल्कि पूरे पिछड़ा वर्ग समाज में गहरा आक्रोश फैला दिया है। दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब गाँव में अवैध शराब बिक्री को लेकर सामूहिक पंचायत में यह सर्वसम्मत फैसला हुआ था कि अब गाँव में कोई शराब नहीं बेचेगा और न पिएगा। इस पंचायत का विरोध एक ब्राह्मण समुदाय के युवक ने किया, जो कथित तौर पर अवैध शराब बिक्री में शामिल था। पंचायत के दौरान ही युवक ने अपशब्द कहे और वहां से गाली-गलौज कर चलता बना।

जिसमें पत्रकारों ने इस घटना को “तालिबानी सजा” बताते हुए
प्रदेश सरकार और पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
पंचायत के बाद ओबीसी समाज के युवक पुरुषोत्तम कुशवाहा ने विरोधस्वरूप उस व्यक्ति की एक AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के माध्यम से तस्वीर बनाई, जिसमें आरोपी युवक को जूते की माला पहनाई हुई दिखाया गया था। पुरुषोत्तम का उद्देश्य उस युवक की हरकतों और शराब बिक्री के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाना था। परंतु यही बात ब्राह्मण समाज को नागवार गुज़री।
इसके बाद गाँव के ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों ने बैठक बुलाई और कथित रूप से पुरुषोत्तम कुशवाहा को बुलाकर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। वायरल वीडियो में पुरुषोत्तम से जबरन एक युवक के पैर धुलवाए गए और उसी पानी को पीने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा उससे कहलवाया गया कि वह आजीवन ब्राह्मणों की पूजा करेगा।

वीडियो में ये वही लोग हैं जिन्होंने इस अमानवीय कृत्य के दौरान विरोध करने की बजाय मौन सहमति दिखाई।
प्रशासन ने इन्हीं की पहचान के आधार पर जांच शुरू की है।
यह दृश्य देखकर लोगों की रूह कांप उठी।
वीडियो के वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को “मानवता पर कलंक” बताया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। समाजवादी पार्टी ने भी घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। ओबीसी संगठनों ने इसे जातीय अत्याचार का खुला उदाहरण बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यभर में आंदोलन शुरू होगा।
पत्रकार अविसार शर्मा और कई यूट्यूब चैनलों ने इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट चलाई, जिसमें इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि और पंचायत का ज़िक्र किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, यह झगड़ा सामाजिक सुधार के मुद्दे से शुरू हुआ था, लेकिन जातिगत घृणा ने इसे अपमानजनक मोड़ दे दिया।
घटना के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पीड़ित पुरुषोत्तम कुशवाहा ने पुलिस को लिखित शिकायत दी है और कहा है कि “मेरी गलती केवल इतनी थी कि मैं गाँव में शराबबंदी का समर्थन कर रहा था। मैंने किसी का अपमान नहीं किया, बल्कि शराब बेचने वालों के खिलाफ आवाज़ उठाई।”
ओबीसी समाज में इस घटना को लेकर जबरदस्त नाराज़गी है।
लोगों का कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान का सवाल है।
सोशल मीडिया पर #JusticeForPurushottam और #StopCasteViolence जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

पोस्ट में कांग्रेस ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा —
“यह देश बाबा साहेब के संविधान से चलेगा, आरएसएस-भाजपा की मनुवादी सोच से नहीं।”
कार्रवाई की मांगें
– दोषियों पर IPC की धारा 153A, 295A, 504, 506 के तहत मामला दर्ज किया जाए।
– वीडियो में मौजूद सभी लोगों की पहचान कर गिरफ्तारी की जाए।
– मानवाधिकार आयोग और ओबीसी आयोग से स्वतः संज्ञान लेने की मांग।
– पीड़ित युवक को सुरक्षा और न्यायिक मुआवज़ा प्रदान किया जाए।
अब सवाल यह नहीं कि यह घटना कैसे हुई — सवाल यह है कि कब तक समाज में ऐसी सामंती सोच संविधान से ऊपर चलती रहेगी?
क्या प्रशासन दोषियों को सज़ा देगा या यह मामला भी राजनीति और जाति की धूल में दबकर रह जाएगा?
रिपोर्ट – आर. के. पटेल
ब्यूरो- दमोह (मध्य प्रदेश)
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