
बांदा।
कमासिन विकासखंड की ग्राम पंचायत तिलौसा में हुए वित्तीय घोटाले का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद सचिव और प्रधान के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ग्राम पंचायत के एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों और पंचायत सदस्यों ने 26 मार्च 2025 को जिला अधिकारी बांदा को शपथपत्र देकर पंचायत में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। शिकायत पर डीएम के आदेश से जांच सीडीओ कार्यालय के माध्यम से मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को सौंपी गई थी।
जानकारी के अनुसार, 17 जून 2025 को जांच पूरी होकर जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय में जमा कर दी गई थी। जांच रिपोर्ट में सचिव और प्रधान दोनों को 7 लाख 14262 रुपये के गबन का दोषी पाया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि जांच पूरी हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं। मंगलवार को जब ग्रामीण जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया, तब जाकर उन्हें जांच रिपोर्ट की एक फोटोकॉपी दी गई।
शिकायतकर्ता गजराज सिंह ने बताया कि ग्रामीण छह महीने में लगभग पचास बार जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोषी ठहराए जाने के बावजूद सचिव और प्रधान ने 2 अक्टूबर 2025 को लाखों रुपये का और भुगतान कर दिया, जो पूरी तरह से फर्जी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर जांच को दबा रहे हैं। इस संबंध में जब जिला पंचायत राज अधिकारी राजेंद्र प्रसाद से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि “जांच हो चुकी है, फिलहाल मीटिंग में हूं, बाद में बात करें।”
मुख्य विकास अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ मिला।
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बांदा (उत्तर प्रदेश)



