सरकारी दस्तावेज और तीन अधिकारियों के लैपटॉप गायब, तेरह दिन दबा रहा मामला,
अधिकारियों और ड्राइवर की लापरवाही से बड़ा सवाल, अब जांच की जद में पूरा प्रकरण

ललितपुर,
सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने पहुँचे तीन खंड विकास अधिकारियों के लैपटॉप, टेबलेट और सरकारी फाइलें एक ही वाहन से गायब हो गईं, लेकिन हैरानी की बात यह कि इतनी गंभीर घटना को अधिकारियों ने तेरह दिन तक दबाए रखा। न केवल संवेदनशील दस्तावेज गायब हुए, बल्कि तत्काल पुलिस को सूचना न देकर प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर कर दिया। अब पूरा मामला जांच के दायरे में आ गया है।
वाहन स्वामी रामकुमार पुत्र करन सिंह निवासी मिर्चवारा ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि वह बुलैरो वाहन संख्या यू पी 94 ए टी 3828 का स्वामी है, जिसे विकास खंड बिरधा में लगाया गया था। वाहन को राधेश्याम पुत्र स्व फूलसिंह ग्राम जिजयावन चला रहा था।
12 नवम्बर को बीडीओ बिरधा, बीडीओ मड़ावरा और बीडीओ महरौनी इसी वाहन से सामूहिक विवाह समारोह में पहुँचे। दोपहर करीब दो बजे राधेश्याम वाहन में रखे सभी लैपटॉप, टेबलेट और महत्वपूर्ण फाइलों का बैग लेकर मौके से फरार हो गया और फोन बंद कर लिया।
सुनील कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर ने बताया कि राधेश्याम अचानक गाड़ी की चाबी देकर चला गया था और कह गया था कि थोड़ी देर में लौट आएगा, लेकिन वापस नहीं आया।
क्या–क्या गायब हुआ
बीडीओ बिरधा का एप्पल लैपटॉप
बीडीओ मड़ावरा का एचपी लैपटॉप और कार्यालय की फाइलें
बीडीओ महरौनी का लगभग चालीस हजार का टेबलेट
सभी अधिकारी स्तर के दस्तावेज भी गाड़ी में ही रखे थे
अब सवाल यह है कि इतने संवेदनशील दस्तावेज और लैपटॉप एक ही वाहन में कैसे रखे गए।
तेरह दिन तक मामला क्यों दबा कर रखा गया
अधिकारियों ने पूरे मामले की सूचना पुलिस को तुरंत देने के बजाय तीन दिनों तक ड्राइवर के परिजनों और रिश्तेदारों को फोन कर तलाश करना ज्यादा उचित समझा। तीन दिनों बाद ड्राइवर के भाई ने कहा कि “सब सामान वापस हो जाएगा”, इसलिए एफआईआर न कराएं।
लेकिन जब मामला छिपा नहीं रह सका तो तेरह दिन बाद गाड़ी मालिक से एफआईआर लिखवाई गई।
वाहन स्वामी का आरोप
राधेश्याम के भाई राजा भैया और उनके साले चन्द्रपाल ने मिलकर पूरा सामान गायब कराया।
दोनों के मोबाइल भी कई दिनों तक बंद रहे, जिससे संदेह गहरा गया।
पुलिस ने अब मामला दर्ज कर लिया
कोतवाली पुलिस ने बीएनएस की धारा 316 (2) और 61 (2) के तहत राधेश्याम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
अब जांच का दायरा इस बात पर भी रहेगा कि
संवेदनशील दस्तावेज कैसे एक ही वाहन में रखे गए,
तुरंत मामला दर्ज क्यों नहीं हुआ,
और वह तेरह दिन किस दबाव में रोका गया।
रिपोर्ट – आर के पटेल ललितपुर
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