19 वां गाजर घास उन्मूलन जागरुकता सप्ताह के अंतिम दिन गोष्ठी का हुआ आयोजन
19 वां गाजर घास उन्मूलन जागरुकता सप्ताह के अंतिम दिन गोष्ठी का हुआ आयोजन

ललितपुर
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कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, खिरियामिस्र, ललितपुर में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष, डॉ मुकेश चंद के नेतृत्व में 19वां गाजरघास जागरुकता सप्ताह (16-22 अगस्त 2024) के अंतर्गत अंतिम दिन कृषक गोष्ठी/प्रशिक्षण का सफल आयोजन किया गया। गाजरघास उन्मूलन जागरुकता कार्यक्रम के आयोजनकर्ता डॉव दिनेश तिवारी, विषय वस्तु विशेषज्ञ-सस्य विज्ञान ने गोष्ठी में तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि गाजरघास (पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस) जिसे आमतौर पर कांग्रेस घास, सफेद टोपी, गजरी, चटक चांदनी, रुखैया आदि नामों से जाना जाता है, एक विदेशी आक्रामक खरपतवार है। भारत में पहली बार 1950 के दशक में दृष्टिगोचर होने के बाद यह विदेशी खरपतवार रेलवे ट्रैक, सडक़ों के किनारे, बंजर भूमि, उद्यान आदि सहित लगभग 35 मिलियन हेक्टेयर फसलीय और गैरफसलीय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। यह एक वर्षीय शाकीय पौधा है जिसकी लंबाई 1.5 से 2.0 मीटर तक होती है। यह मुख्यत: बीजों से फैलता है। यह एक विपुल बीज उत्पादक है और इसमें लगभग 5000 से 25000 बीजध् पौधा पैदा करने की क्षमता होती है। बीज अपने कम वजन के कारण हवा, पानी और मानवीय गतिविधियों द्वारा आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं। गाजरघास को सबसे अधिक खतरनाक खरपतवारों में गिना जाता है क्योंकि यह मनुष्यों और पशुओं में त्वचा रोग (डरमेटाइटिस), अस्थमा और ब्रोंकाइटिश जैसे स्वास्थ्य समस्याओ का कारण बनता है। इसके सेवन से पशुओं में अत्यधिक लार और दस्त के साथ मुंह में छालें हो जाते हैं। कृषक गोष्ठी प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, ललितपुर के डॉव अनुज गौतम, विषय वस्तु विशेषज्ञ – पशु पालन, डॉव सरिता देवी, विषय वस्तु विशेषज्ञ-गृह विज्ञान, श्री घनश्याम यादव- प्रक्षेत्र प्रबंधक, कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जैसे कुमारी रिशु उपाध्याय, एस.टी.ए., श्री कामोदी लाल अहिरवार, ए.डी.ओ. कृषि, एसएमएस, बीटीएम, एटीएम, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक, विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव के लिए आए छात्रों के साथ ही साथ विकास खंड मड़ावरा और महरौनी के ग्राम रनगांव, सतवास, भोंटी, खितवास, और अर्जुन खिरिया के शशि, गेदारानी सहित 50 से अधिक प्रगतिशील महिला कृषक और कृषकों ने प्रतिभाग किया।

रिपोर्ट –रामकुमार पटेल।



