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अस्पताल में इलाज मांगने पहुँचे दलित युवक के परिजनों से मारपीट, अधीक्षक व गार्ड पर गम्भीर आरोप समाचार तक – बेबाक खबर बड़ा असर

अस्पताल में इलाज मांगने पहुँचे दलित युवक के परिजनों से मारपीट, अधीक्षक व गार्ड पर गम्भीर आरोप समाचार तक – बेबाक खबर बड़ा असर

मड़ावरा (ललितपुर)

स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े करने वाली एक बड़ी घटना शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मड़ावरा में सामने आई। सड़क हादसे में घायल युवक को इलाज दिलाने पहुँचे परिजनों के साथ अस्पताल में ही जातिसूचक शब्दों के साथ गाली-गलौज और बेरहमी से मारपीट की गई। परिजनों ने चिकित्सक और गार्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए मड़ावरा थाने में तहरीर दी है और कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

घायल युवक को इलाज देने से किया इनकार

धवा निवासी विशाल रजक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ। परिजन उसे तुरंत सीएचसी मड़ावरा लेकर पहुँचे। आरोप है कि तैनात अधीक्षक डॉ. अविनाश कुमार ने पहले नाम और जाति पूछी और उसके बाद जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए इलाज करने से इनकार कर दिया। बिना प्राथमिक उपचार के ही घायल को रेफर कर दिया गया।

गार्ड ने डंडों से की पिटाई

पीड़ित पक्ष का कहना है कि अधीक्षक के इशारे पर अस्पताल में तैनात गार्ड ने घायल के छोटे भाई रोहित और उसके साथी विष्णु की लाठी-डंडों से बेरहमी से पिटाई कर दी। मारपीट में युवक घायल हो गया और उसका मोबाइल भी टूट गया। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने किसी तरह दोनों को बचाया।

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अस्पताल में आये दिन विवाद

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जबसे डॉ. अविनाश कुमार ने सीएचसी मड़ावरा का चार्ज संभाला है, तबसे अस्पताल में मारपीट और गाली-गलौज की घटनाएँ आम हो गई हैं। बताया जाता है कि चिकित्सक अक्सर शराब के नशे में रहते हैं और मरीजों व परिजनों से दुर्व्यवहार करते हैं।

पत्रकारों ने भी किया विरोध

घटना वाले दिन ही मड़ावरा के पत्रकारों ने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था। पत्रकारों का आरोप है कि अधीक्षक अस्पताल की अव्यवस्थाओं और अपनी कार्यशैली को उजागर करने वालों से भी दुर्व्यवहार और दबंगई करते हैं।

परिजनों की मांग – दोषियों पर कड़ी कार्यवाही

पीड़ित परिजनों ने इस पूरे मामले में अधीक्षक और गार्ड के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज करने और तत्काल निलंबन की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।

👉 यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलती है बल्कि जातीय भेदभाव और चिकित्सक की दबंगई का जीता-जागता उदाहरण है।
समाचार तक – बेबाक खबर बड़ा असर

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