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आयोजनधर्मसामाजिक

अतीत की केवल बुराई याद रहती है अच्छाई भूल जाते हैं

माता - पिता और परिवार पर श्रद्धान करने से ही जीवन में खुशियाँ आयेंगी - मुनि विनम्र सागर महाराज

परिवार की स्थिति सुधारना है तो अपने सम्बोधन को सुधारो

प्रतिकूल परिस्थिति में अंतिम दाव क्षमा दया का होना चाहिए

 

तालबेहट (ललितपुर)

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कस्बे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि विनम्र सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कैसे भी हो अपने जीवन में सौ मित्र पैदा करो, सौ लोगों की नफरत पर दो लोगों का प्रेम भारी पड़ जाता है। परिवार की स्थिति सुधारना है तो अपने सम्बोधन को सुधारो। परिवार को संभालने का सूत्र है सम्बोधन को व्यवस्थित कीजिए। परिवार में मुँह से गाली या अपशब्द न निकालो। प्रतिकूल परिस्थिति में हम अंतिम प्रयास क्रोद्ध से करते हैं, जबकि अंतिम दाव क्षमा दया का होना चाहिए जो तीर्थंकर भगवंतों ने किया है। जहाँ हम क्रोद्ध करते हैं वहाँ हमें क्षमा को लाना चाहिए था तो परिणाम निश्चित ही बेहतर होता।

सुबह मुनि विनम्र सागर महाराज के साथ मुनि निस्वार्थ सागर, मुनि निर्मद सागर, मुनि निसर्ग सागर, मुनि श्रमण सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर के सानिध्य में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन एवं विधान का आयोजन किया गया। विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने अष्ट द्रव्य को सुसज्जित कर आचार्य श्री की पूजन की। इस मौक़े पर मुनि विनम्र सागर महारज ने कहा तीनों मूढताओं को छोड़ सम्यक दर्शन के आठ अंगों का पालन कर सच्चे देव शास्त्र गुरु पर श्रद्धान करने से ही सम्यक दर्शन की प्राप्ति होगी। लेकिन आज धर्म से पहले हम संसार की बात करेंगे, लोग तीव्रतम कषायों के वशीभूत विचलित हो जाते हैं, लेकिन यदि माता – पिता विचलित हो गये होते तो हम दुनिया में नहीं होते। माता – पिता और परिवार पर श्रद्धान करने से ही जीवन में खुशियाँ आयेंगी। शंका, क्रोद्ध, अपेक्षा और घृणा किये बिना माता – पिता और परिवार पर श्रद्धान करो। आज के कई परिवार में माता-पिता छोटी-छोटी जरूरत के लिये परेशान रहते हैं, बच्चे उनसे मुँह मोड़कर बीबी बच्चों में खुशी खोजते हैं। वह अपने जीवन में माता-पिता के योगदान को भूल जाते हैं, उनके पास बच्चों की डेरीमिल्क के लिये सौ रूपये तो होते हैं लेकिन पिता की जरूरत पूर्ण करने के लिये पाँच रुपये नहीं होते। इस पर विचार करने की आवश्यकता है की ऐसी स्थिति में खुशियाँ कहाँ से आयेंगी। किसी बात को समझने के लिये कान दिमाग़ और दिल से सुनो। साधु संत और आम लोगों के राग – द्वेष निमित्त में बहुत अंतर होता है। गुण – दोष तो इंसान के साथ चले जाते हैं, आदमी अतीत से चिपका भविष्य की योजना बना रहा और अपने वर्तमान को खराब कर रहा है। अतीत की केवल बुराई याद रहती है अच्छाई भूल जाते हैं। मोक्ष मार्गी संत ही नहीं गृहस्थ भी होता है लेकिन उसे अपने अंतस की भावना को समझना होगा। सायं काल की बेला में गुरु भक्ति एवं मंगल आरती की गयी। जिसमें वीर सेवा दल, अहिंसा सेवा संगठन, जैन युवा सेवा संघ, जैन मिलन, पं. विजय कृष्ण, चौधरी धर्मचंद्र, जयकुमार, ऋषभ जैन, सुरेंद्र पवैया, मोदी कमल कुमार, मिठ्या संत प्रसाद, सनत कुमार, सुकमाल, मुलायम चंद्र, अशोक कुमार, सुमत प्रकाश, गजेंद्र जैन, राजीव कुमार, सुनील जैन, प्रकाश चंद्र, विनोद जैन, नरेश कुमार, डॉ. महेंद्र जैन, निर्मल बुखारिया, संजीव जैन,अनिल कुमार, यशपाल जैन, प्रवीन कुमार, मेघराज मिठ्या, राकेश मोदी, अभिलाष, आदेश मोदी, विशाल पवा, सौरभ मोदी, आकाश चौधरी, सौरभ पवैया, संजय जैन, अमित कुमार, प्रिंस जैन, अभिषेक कुमार, आशीष जैन, अमन, अंकित, पीयूष, प्रमिलराज, मयूर, आयुष, मुकुल, शुभम, सिद्धार्थ, वैभव, हर्ष जैन सहित सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन चौधरी चक्रेश जैन एवं आभार व्यक्त मोदी अरुण जैन बसार एवं अजय जैन अज्जू ने संयुक्त रूप से किया।

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परिवार की स्थिति सुधारना है तो अपने सम्बोधन को सुधारो।
प्रतिकूल परिस्थिति में अंतिम दाव क्षमा दया का होना चाहिए।
अतीत की केवल बुराई याद रहती है अच्छाई भूल जाते हैं।
माता – पिता और परिवार पर श्रद्धान करने से ही जीवन में खुशियाँ आयेंगी – मुनि विनम्र सागर महाराज

तालबेहट (ललितपुर) कस्बे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि विनम्र सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कैसे भी हो अपने जीवन में सौ मित्र पैदा करो, सौ लोगों की नफरत पर दो लोगों का प्रेम भारी पड़ जाता है। परिवार की स्थिति सुधारना है तो अपने सम्बोधन को सुधारो। परिवार को संभालने का सूत्र है सम्बोधन को व्यवस्थित कीजिए। परिवार में मुँह से गाली या अपशब्द न निकालो। प्रतिकूल परिस्थिति में हम अंतिम प्रयास क्रोद्ध से करते हैं, जबकि अंतिम दाव क्षमा दया का होना चाहिए जो तीर्थंकर भगवंतों ने किया है। जहाँ हम क्रोद्ध करते हैं वहाँ हमें क्षमा को लाना चाहिए था तो परिणाम निश्चित ही बेहतर होता।
सुबह मुनि विनम्र सागर महाराज के साथ मुनि निस्वार्थ सागर, मुनि निर्मद सागर, मुनि निसर्ग सागर, मुनि श्रमण सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर के सानिध्य में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन एवं विधान का आयोजन किया गया। विद्यासागर पाठशाला के बच्चों ने अष्ट द्रव्य को सुसज्जित कर आचार्य श्री की पूजन की। इस मौक़े पर मुनि विनम्र सागर महारज ने कहा तीनों मूढताओं को छोड़ सम्यक दर्शन के आठ अंगों का पालन कर सच्चे देव शास्त्र गुरु पर श्रद्धान करने से ही सम्यक दर्शन की प्राप्ति होगी। लेकिन आज धर्म से पहले हम संसार की बात करेंगे, लोग तीव्रतम कषायों के वशीभूत विचलित हो जाते हैं, लेकिन यदि माता – पिता विचलित हो गये होते तो हम दुनिया में नहीं होते। माता – पिता और परिवार पर श्रद्धान करने से ही जीवन में खुशियाँ आयेंगी। शंका, क्रोद्ध, अपेक्षा और घृणा किये बिना माता – पिता और परिवार पर श्रद्धान करो। आज के कई परिवार में माता-पिता छोटी-छोटी जरूरत के लिये परेशान रहते हैं, बच्चे उनसे मुँह मोड़कर बीबी बच्चों में खुशी खोजते हैं। वह अपने जीवन में माता-पिता के योगदान को भूल जाते हैं, उनके पास बच्चों की डेरीमिल्क के लिये सौ रूपये तो होते हैं लेकिन पिता की जरूरत पूर्ण करने के लिये पाँच रुपये नहीं होते। इस पर विचार करने की आवश्यकता है की ऐसी स्थिति में खुशियाँ कहाँ से आयेंगी। किसी बात को समझने के लिये कान दिमाग़ और दिल से सुनो। साधु संत और आम लोगों के राग – द्वेष निमित्त में बहुत अंतर होता है। गुण – दोष तो इंसान के साथ चले जाते हैं, आदमी अतीत से चिपका भविष्य की योजना बना रहा और अपने वर्तमान को खराब कर रहा है। अतीत की केवल बुराई याद रहती है अच्छाई भूल जाते हैं। मोक्ष मार्गी संत ही नहीं गृहस्थ भी होता है लेकिन उसे अपने अंतस की भावना को समझना होगा। सायं काल की बेला में गुरु भक्ति एवं मंगल आरती की गयी। जिसमें वीर सेवा दल, अहिंसा सेवा संगठन, जैन युवा सेवा संघ, जैन मिलन, पं. विजय कृष्ण, चौधरी धर्मचंद्र, जयकुमार, ऋषभ जैन, सुरेंद्र पवैया, मोदी कमल कुमार, मिठ्या संत प्रसाद, सनत कुमार, सुकमाल, मुलायम चंद्र, अशोक कुमार, सुमत प्रकाश, गजेंद्र जैन, राजीव कुमार, सुनील जैन, प्रकाश चंद्र, विनोद जैन, नरेश कुमार, डॉ. महेंद्र जैन, निर्मल बुखारिया, संजीव जैन,अनिल कुमार, यशपाल जैन, प्रवीन कुमार, मेघराज मिठ्या, राकेश मोदी, अभिलाष, आदेश मोदी, विशाल पवा, सौरभ मोदी, आकाश चौधरी, सौरभ पवैया, संजय जैन, अमित कुमार, प्रिंस जैन, अभिषेक कुमार, आशीष जैन, अमन, अंकित, पीयूष, प्रमिलराज, मयूर, आयुष, मुकुल, शुभम, सिद्धार्थ, वैभव, हर्ष जैन सहित सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन चौधरी चक्रेश जैन एवं आभार व्यक्त मोदी अरुण जैन बसार एवं अजय जैन अज्जू ने संयुक्त रूप से किया।

रिपोर्ट–कमलेश कश्यप के साथ सुरेंद्र सपेरा (ललितपुर)

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