बारिश का कहर: सब्जियों के बढ़े दामों से रसोई का बजट बिगड़ा
बारिश का कहर: सब्जियों के बढ़े दामों से रसोई का बजट बिगड़ा

गोंडा।
मानसून की पहली बारिश ने जहां भीषण गर्मी से राहत दी, वहीं आम जनता की जेब पर महंगाई का बोझ बढ़ा दिया है। लगातार बारिश से स्थानीय स्तर पर सब्जियों की पैदावार प्रभावित हुई है, जिससे मंडियों में सब्जियों के दाम बेकाबू हो गए हैं। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों से आयातित सब्जियों पर निर्भरता बढ़ने के कारण कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है।
सब्जियों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी
सबसे अधिक तेजी टमाटर के दामों में देखी जा रही है। जो टमाटर कुछ दिन पहले 30 रुपये किलो बिक रहा था, अब वही 40 रुपये किलो तक पहुंच गया है। भिंडी की कीमत 20 रुपये से बढ़कर 35 रुपये प्रति किलो हो चुकी है, वहीं करेला 50 रुपये किलो बिक रहा है।
मसालों की कीमतों ने भी बढ़ाई चिंता
सिर्फ हरी सब्जियां ही नहीं, लहसुन, अदरक और धनिया जैसी जरूरी मसालों की कीमतें भी उपभोक्ताओं की जेब ढीली कर रही हैं। लहसुन दो दिन में 20 रुपये की छलांग लगाकर 110 रुपये किलो पहुंच गया है, अदरक 45 रुपये और हरा धनिया भी तेजी से महंगा हो रहा है।
ट्रांसपोर्ट और बिचौलियों का भी असर
टमाटर की आपूर्ति मुख्य रूप से कर्नाटक से हो रही है। थोक मंडी में जहां टमाटर 24-26 रुपये किलो बिक रहा है, वहीं फुटकर बाजार में वही टमाटर 35 से 45 रुपये किलो बिक रहा है। इसकी वजह परिवहन लागत और बिचौलियों का मुनाफा बताया जा रहा है।
आलू-प्याज भी महंगे
आलू और प्याज की कीमतों में भी 5-10 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। ये अब 25 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं। मंडियों में प्याज की आवक मैहर और खंडवा से हो रही है जबकि आलू प्रयागराज और आगरा से आ रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के थमने तक कीमतों में स्थिरता की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में आम आदमी की रसोई पर महंगाई की मार आने वाले दिनों में और गहराने की आशंका है।
रिपोर्ट: एम.डी. मौर्य, समाचार तक, गोंडा



