धवा गाँव बना डायरिया का नया ठिकाना – सफाई की अनदेखी ने बढ़ाया खतरा
धवा गाँव में डायरिया का कहर, ब्लीचिंग-डीडीटी का हिसाब कहाँ गया?

ललितपुर/मड़ावरा
रखवारा गांव में डायरिया का कहर थमा भी नहीं था कि पास के ही धवा गांव से भी बीमारी के नए मामले सामने आने लगे हैं। गाँव धवा में अब तक 4 लोग उल्टी-दस्त की चपेट में आ चुके हैं, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है।
मामले की जानकारी मिलते ही मड़ावरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक अपनी टीम के साथ धवा पहुंचे। उन्होंने गांव की स्थिति का जायजा लिया, ग्रामीणों को उबला पानी पीने और समय पर दवाइयाँ लेने की अपील की। बीमार लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई गईं और निगरानी बढ़ा दी गई है।
लेकिन असली सवाल साफ-सफाई और जिम्मेदारी का है। सरकार हर साल सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च करती है, ब्लीचिंग पाउडर और डीडीटी छिड़काव के निर्देश भी जारी होते हैं, पर ज़मीनी हकीकत ये है कि या तो ये सामग्री गांव तक पहुँचती ही नहीं या फिर कागजों में ही खर्च दिखा दी जाती है। यही वजह है कि बीमारी एक गाँव से दूसरे गाँव तक फैलने लगी है।
समाचार तक की पड़ताल में सामने आया कि धवा गांव का पुराना कुआं, जो वर्षों से अनुपयोगी था, उसमें लगातार कूड़ा-कचरा और गोबर डाला जा रहा है। बरसात के पानी से ये गंदगी गलकर भूजल में मिल गई और वहीं से हैंडपंपों का पानी दूषित होकर लोगों तक पहुंचा। यही इस बीमारी के फैलने की असली जड़ है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर खंड विकास अधिकारी और ब्लॉक स्तर के अधिकारी समय-समय पर गांवों में जाकर सफाई व्यवस्था की वास्तविक निगरानी करते तो आज हालात इतने बिगड़े न होते। लेकिन अधिकांश अधिकारी दफ्तरों में बैठकर सिर्फ कागजी खानापूर्ति में व्यस्त रहते हैं।
रखवारा के बाद अब धवा में बीमारी की एंट्री ने इस बात को साफ कर दिया है कि अगर अब भी प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए तो पूरे ब्लॉक में यह बीमारी फैल सकती है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने गांव में सफाई और दवा वितरण शुरू कर दिया है, लेकिन सवाल वही खड़ा है कि जब सरकारी छिड़काव और सफाई अभियान पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं तो फिर बीमारी क्यों फैल रही है?
📌 रिपोर्ट – आर. के. पटेल
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