
मड़ावरा / ललितपुर
थाना मड़ावरा की ग्राम पंचायत धवा में अवैध रूप से देशी शराब की दुकानें संचालित हैं,
वैसे पुलिस प्रसासन अवैध सराब बिक्री रोकने का दावा करती है वही थाना क्षेत्र से थोड़ी ही दूर धवा रखवार गाँव मे द्वन्गयीं से घरों औऱ गुटखा तम्बाकू के डिब्बो दुकानों में रखकर देसी विदेशी सराब की अवैध बिक्री जोरो से चल रही है,
गाँव देहात क्षेत्र में मिलजुल कर त्यौहार मानने की परम्पराओं को पुरो तरह कलंकित करने में कोई कसर नही छोड़ते है शराबि और नशेड़ियों साथ ही गाँवों में अबैध सराब बिक्रेता इतने दवंग हो गए है कि इनसे कोई बात भी करता है तो गली गलोच और मारपीट आमादा हो जाते है,
अबैध सराब बिक्रेताओं के द्वारों पर शाम होते ही दारूबाजों का जमघट लग जाता है।
पुलिस पहले भी इनको सराब समेत पकड़ चुकी है लेकिन इन पर कोई कार्यवाही न होने के कारण इनके हौसले और भी बुलंद है ,
धवा मड़ावरा के कच्चे रास्ते मे बने मकानों में दिन रात अबैध सराब की बिक्री चलती है , बताते चले कि लोक डाउन के समय मे इन बिक्रेताओं द्वारा तरह तरह के नसीले पदार्थो से देशी सराब के क्वाटरों में भरकर बेचने का अबैध कारोबार खूब फलता फूलता रहा है,
बेमुल्क नबाब इन दारूबाजों से गांव-क्षेत्र की शांतिभंग हो रही, ऐसा नहीं कि जिम्मेदारों को इसकी भनक नहीं है, जानकारी के बावजूद जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे। नतीजा यह है की ग्रामीण इलाकों में गली-गली शराब की अबैध बिक्री बेरोकटोक जारी है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन एवं आबकारी विभाग से शिकायत के बावजूद भी कोई कदम नहीं उठाया गया है, जिससे अवैध रूप से दारू बेचने वाले एवं पीने वालों के हौंसले परवान चढ़े हुए हैं।
थाना मड़ावरा के ग्राम धवा में पुलिस प्रशासन व आबकारी विभाग की अनदेखी के कारण अवैध रूप से बिना लाइसेंस के चल रहे देशी शराब की दुकानों पर शाम से ही दारू पीने वालों का जमघट लगना शुरू हो जाता है। पीने के बाद बे-मुल्क नबाब दारूबाज गांव में आने-जाने वाले बुजुर्गो के साथ अभद्र व्यवहार शुरू करते हैं। वहीं गांव में अश्लील हरकतें व आवाजकशी करने से भी नहीं चूकते हैं, जिससे गांव की शांतिभंग होने का खतरा पैदा हो गया है। वहीं इन दारूबाजों की नाजायज हरकतों को देखकर ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है। हालांकि शराब बेचने वालों और पीकर गांव में शांति को पलीता लगाने वालों की शिकायतें संबंधित विभाग से अनेकों बार गांव के संभ्रांत नागरिकों ने की, परंतु स्थिति जस की तस है। इस धंधे से जुड़े लोगों ने सप्लाई के लिए अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाये हैं, शराब की ज्यादा से ज्यादा बिक्री और लोगों को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी ठेके की तर्ज पर दुकानों पर माल रखा है। कच्ची शराब परचून की दुकानों पर आसानी से मिल जाती है। इससे जहां एक ओर ग्रामीण अंचल का माहौल खराब हो रहा, तो वहीं दूसरी ओर युवा पीढ़ी नशे की लत की आदी होती जा रही है। ऐसा भी नहीं है कि शराब के अवैध कारोबार की भनक आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन को न हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन में अपनी सुस्ती व नाकामी का परिचय दे रहा है।
जानकारी हो कि समय-समय पर एसपी के दिशा निर्देशन पर अबैध शराब के कारोबारियों पर शिकंजा तो कसा जाता है। लेकिन स्थानीय प्रशासन सिवाए कुछ गिने-चुने अड्डे पर कार्यवाही के नाम पर इतिश्री कर लेता और ग्रामीण अंचलों में स्थिति ज्यो-की-त्यों बनीं रहती है।
रिपोर्ट- आर के पटेल
मड़ावरा / ललितपुर
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