दिल्ली से तियानजिन तक: मोदी का चीन दौरा, रिश्तों की नई इबारत लिखने की कवायद
RK PATEL Journalist समाचार तक- बेबाक खबर बड़ा असर “तियानजिन में मोदी: साझेदारी का नया सूत्र, एशिया की राजनीति में भारत का बढ़ता कद” प्रधानमंत्री ने शी और पुतिन संग मुलाकात में व्यापार, सीमा स्थिरता और ऊर्जा सहयोग पर दिया जोर — SCO सम्मेलन से निकला भारत की बहुस्तरीय कूटनीति का संदेश।

दिल्ली से तियानजिन तक: मोदी का चीन दौरा, रिश्तों की नई इबारत लिखने की कवायद
रिपोर्ट –RK PATEL Journalist
समाचार तक- बेबाक खबर बड़ा असर
नई दिल्ली/तियानजिन।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात वर्ष बाद चीन की धरती पर कदम रखा और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी महत्वपूर्ण मुलाकातें हुईं। इस दौरे ने न केवल भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने का संकेत दिया बल्कि वैश्विक कूटनीतिक संतुलन में भारत की भूमिका को भी और मजबूत कर दिया।
मोदी-शी मुलाकात: साझेदारी पर जोर

तियानजिन में हुई द्विपक्षीय बैठक में मोदी और शी ने व्यापार घाटे, सीमा विवाद और सुरक्षा सहयोग पर खुलकर चर्चा की।
भारत ने चीन से व्यापार घाटा घटाने और भारतीय उत्पादों के लिए चीनी बाजार खोलने की मांग की।
दोनों देशों ने LAC पर स्थिरता और सैन्य संवाद चैनलों की बहाली पर सहमति जताई।
वीज़ा नियम और उड़ान बहाली जैसे मुद्दों पर भी सकारात्मक बातचीत हुई।
मोदी-पुतिन वार्ता: ऊर्जा सुरक्षा पर सहमति-

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात में मोदी ने ऊर्जा साझेदारी पर जोर दिया। भारत पहले ही रूस से कच्चा तेल और उर्वरक बड़ी मात्रा में खरीद रहा है। बैठक में सहयोग को और विस्तार देने पर सहमति बनी।
SCO मंच से आतंकवाद पर सख्त संदेश-

प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को कठोर चेतावनी दी और कहा कि “सीमापार आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”। इस बयान को रूस और चीन दोनों का समर्थन मिला।
अमेरिका पर असर-

प्रधानमंत्री मोदी का विमान से हाथ हिलाकर अभिवादन करना इस दौरे की शुरुआत का प्रतीक बना। यह तस्वीर दिखाती है कि भारत इस यात्रा को कितनी गंभीरता और उम्मीदों के साथ देख रहा था।
प्रवासी भारतीयों का स्वागत-

चीन में बसे प्रवासी भारतीयों ने प्रधानमंत्री मोदी का जोशीले नारों और तिरंगे झंडों के साथ स्वागत किया। मोदी ने भी उनसे हाथ मिलाया और बातचीत की। यह दृश्य विदेशों में बसे भारतीयों की आस्था और जुड़ाव को दर्शाता है।
मोदी-पुतिन की दोस्ती-

मोदी-पुतिन की यह गर्मजोशी भरी तस्वीर भारत और रूस के बीच मजबूत रिश्तों का प्रतीक है। दोनों नेताओं ने ऊर्जा, उर्वरक और सुरक्षा पर गहन चर्चा की, जो आने वाले वर्षों में रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाएगी।
परंपरा और कूटनीति का संगम-

विमान की सीढ़ियों से हाथ जोड़कर नमस्ते करना मोदी की कूटनीति और भारतीय परंपरा दोनों का परिचायक है। यह तस्वीर भारत की “सॉफ्ट डिप्लोमेसी” को दर्शाती है, जहाँ संस्कृति और राजनीति साथ-साथ चलती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने नई दिल्ली को चीन और रूस के करीब जाने पर मजबूर किया है। हालांकि भारत अब भी G20 और क्वाड जैसे मंचों पर अमेरिका का अहम सहयोगी है, लेकिन SCO में उसकी बढ़ती सक्रियता को अमेरिका चिंता की नजर से देख रहा है।
लाभ और नुकसान-
चीन में भारतीय उत्पादों के लिए नया बाजार खुल सकता है। अमेरिका से रिश्तों में दूरी का खतरा।
सीमा पर स्थिरता से रक्षा बजट का दबाव घटेगा। चीन-पाकिस्तान समीकरण अब भी भारत के लिए चुनौती।
रूस से ऊर्जा सुरक्षा और उर्वरक आपूर्ति। चीन के वादों पर भरोसा करना जोखिम भरा।
वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूत। आंतरिक आलोचना कि भारत “दो नावों” पर सवार।
By- RK PATEL Journalist
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