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जैन धर्माचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने ली समाधि : तीन दिन के उपवास के बाद त्यागा देह, पंच तत्व में हुए विलीन

विश्व प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा ने अपने सभी प्रकार के प्रतिष्ठान बंद रखकर सभी कार्यो से रहे विरत,

मड़ावरा (उत्तर प्रदेश)

छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में विश्व प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने 17 फरवरी को रात ढाई बजे अंतिम सांस ली है। वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। लगभग छह महीने से डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रुके हुए थे। तीन दिन तक उपवास करने के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था।
सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश और समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।

आचार्यश्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वे बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। आचार्यश्री ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं। उनके शिष्य पूरे देश में विहारकर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं।

 

मड़ावरा से भी सकल दिगम्बर जैन समाज के लोग भी पहुचे डोंगरगढ़-

धर्म की अलख जगाकर सभी धर्मो को मानने बालों के पवित्र मन में जगह रखने बाले जैन धर्माचार्य विद्यासागर महाराज की समाधि की जानकारी लगी ललितपुर जिले के मड़ावरा से सकल दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा से नीलेश जैन बंटी बजाज, साहिल बजाज , चेतन जैन अनिल जैन बिक्की अविनाश जैन, अभिषेक जैन दीपू, आदि उनके अनुयायी भी उनकी अंतेष्टि में शामिल होने पहुँचे,

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कर्नाटक में जन्मे थे जैन धर्माचार्य श्री विद्यासागर महाराज-

आचार्य जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था।

पंच तत्व में विलीन किया जाएगा-

बता दें, संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का समाधिमरण मरण डोंगरगढ़ के चंद्रगिरि में हुआ है। माघ शुक्ल अष्टमी पर्वराज के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि 2:35 बजे ब्रह्म में लीन हुए हैं| हम सब के प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत संलेखना बुद्धि पूर्वक धारण कर ली थी | पूर्व जागृत अवस्था में उन्होने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन के उपवास ग्रहण करते हुए आहार और संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था| प्रत्याख्यान और प्रायश्चित देना बंद कर दिया था। अब 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे श्री विद्यासागर जी का डोला श्री दिगम्बर जैन को पंच तत्व में विलीन हो गए,

 

रिपोर्ट- आर के पटेल
#SamacharTak

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