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जंहा बृक्षारोपण के लिए सरकार द्वारा जोर दिया जाता है, वही हकीकत ये है कि सड़क किनारे खड़े हरे पेडों को दबंगई से काटा जा रहा है,

मदनपुर वन विभाग गेस्ट हाउस के सामने से काटे गए हरे पेड़,

मड़ावरा / ललितपुर

देश मैं मोदी सरकार एवं प्रदेश में आसीन योगी सरकार एक ओर धरा को हराभरा करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष करोड़ो पेड़ लगवाती है ताकि धरा का वातावरण प्रदूषित न हो। लेकिन कुछ ऐसे दंबग आज भी है जो आये दिन हरे पेड़ो पर मशीन चलाकर पेड़ो का कटान करके वातावरण को दूषित करने में लगे। जिनको न तो विभागीय अधिकारियों का डर है नही है अन्य सक्षम अधिकारियों का क्योकि उनका इन सभी से तालमेल नजर आता है।
प्राप्त जानकारी के जनपद ललितपुर की तहसील मड़ावरा के अंतिम ग्राम मदनपुर में स्तिथ वन विभाग के गेस्ट हाउस के सामने सड़क किनारे लगे करीब 30-40 यूकेलिप्टस के पेड़ों को कुछ दबंग किस्म के लोगो ने दिन दहाड़े पेड़ काटने बाली मशीन से काटने की सूचना स्थानीय लोगो द्वारा दिये जाने पर वहां मौके पे जाकर देखा गया तो वास्तविकता में बेखौफ दबंग प्रवत्ति के लोगों द्वारा हरे पेड़ो पर मशीन चलाकर उनको काटा जा रहा था उक्त कटान किसकी सहमति से या अनुमति से किया गया यह यक्ष प्रश्न बन गया है किंतु उक्त हरे पेड़ों के कटान होने से वन क्षेत्र मदनपुर में तैनात बीट रक्षक व वनक्षेत्राधिकारी कार्यालय मड़ावरा की भूमिका सवालों के घेरे में नजर आ रही है।

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अगर विभाग द्वारा परमिशन दी गई तो क्यो?
फिलहाल में वन महोत्सव कार्यक्रम के अन्दर सरकार द्वारा जनपद के प्रत्येक ग्राम में हरे पेड़ लगवाये जा रहे ताकि धरा को दूषित होने से बचाया जा सके लेकिन इसके विपरीत मड़ावरा तहसील के ग्राम मदनपुर में वन विभाग के गेस्ट हाऊस के ठीक सामने सड़क के नीचे लगे यूकेलिप्टस के पेड़ जिनकी उम्र करीब 4-5 वर्ष के लगभग थी उनको बेखौफ होकर काटा जा रहा था। जिन पेड़ो से किसी भी प्रकार की जनहानि की कोई भी संभावना नही थी। क्योकि वह पेड़ सड़क के नीचे लगे हुए जिसने कभी भी किसी भी प्रकार की हानि नही हो सकती है। इस स्तिथि में अगर पेड़ काटे भी गए तो क्या विभाग ने अनुमति किन कारण को देखते हुए दी। अगर विभाग द्वारा पेड़ काटने की अनुमति नही दी तो उक्त पेड़ जो वन विभाग के गेस्ट हाऊस के सामने लगे थे जिनको काटते समय गेस्ट हाऊस में रहने बाले कर्मचारियों ने नही देखा या फिर यह सब देखकर अपनी जेब गर्म करके अनदेखा कर दिया।
विभागीय अधिकारियों ने नही उठाया फोन
पेड़ काटन के बारे में जानकारी लेने के लिए विभागीय अधिकारियों से सम्पर्क करना चाहा तो रेंजर मड़ावरा का मोबाइल नम्बर बन्द बता रहा था,जबकि वन दरोगा ने एक बार फोन रिसीव किया जैसे ही पेड़ काटने की जानकारी चाही तो फोन काट दिया इसके बाद कई बार कॉल की गई लेकिन वह दरोगा ने फोन रिसीव करना उचित नही समझा। जिससे साफ जाहिर होता है कि यह सब खेल विभागीय मिलीभगत से चल रहा है।

रिपोर्ट- आर के पटेल
मड़ावरा / ललितपुर
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