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पर्यावरणस्वास्थ्य

कड़ाके की ठंड में गर्म वर्दी के बिना जिम्मेदारी निभा रहे ललितपुर नगर पालिका के सफाई मित्र

कड़ाके की ठंड में गर्म वर्दी के बिना जिम्मेदारी निभा रहे ललितपुर नगर पालिका के सफाई मित्र

 

 

ललितपुर

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कोरोना संकट के बीच स्वच्छता चुनौती बनी तो सफाई मित्रों ने आगे बढ़कर अपना दायित्व निभाया। आम नागरिक से लेकर शासन-प्रशासन तक ने उनके जज्बे की सराहना की और यह माना कि अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर सफाई मित्रों ने संकट काल में भी शहर को स्वच्छ रखने का कार्य किया। आज भी कड़ाके की ठंड में सुबह जब लोगो को रजाई से निकलने की हिम्मत नहीं होती, ऐसे वक्त मे सफाई मित्र अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए सुबह 5 बजे से मुस्तैद होते हैं, लेकिन इन सफाई मित्रों को नगर पालिका स्तर से उपेक्षा झेलनी पड़ रही है। ठंड के मौसम में सफाई कर्मियों को नगर पालिका की ओर से मिलने वाली एक अदद गर्म वर्दी भी उपलब्ध नहीं है। दिसंबर माह बीत चुका है और जनवरी माह शुरू हैं लेकिन सफाई मित्रों को जाड़े में मिलने वाली गर्म वर्दी नहीं मिली है। नगर पालिका में नियमित व ठेके पर मिला कर सैकड़ों से अधिक सफाई मित्र हैं। इनमें नियमित सफाई मित्रों को गर्मी व जाड़े में नगर पालिका विभाग की ओर से वर्दी दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन पिछले कई सालों से यह सुविधा सफाई मित्रों को नहीं मिल रही है। कई बार कई संगठनों द्वारा वर्दी की मांग सहित सफाई कर्मियों की कई मांगों को लेकर संघर्ष किया गया है। लेकिन संगठन की मांगों को नगर पालिका ने माना तो नियमित कर्मचारियों की वर्दी से जुड़ी समस्या का हल हो जाएगा, लेकिन 300 से अधिक ठेका सफाई कर्मियों के सामने फिर भी वर्दी का संकट बना हैं। ठेके पर रखे गए सफाई कर्मी नियमित सफाई कर्मियों से किसी स्तर पर कम नहीं है। संगठन के अध्यक्षओ का कहना है की सफाई कर्मियों को वर्दी देना नगर पालिका की जिम्मेदारी है। ठेका सफाई कर्मी भी पूरी जिम्मेदारी से अपना कार्य कर रहे हैं। इन्हें भी वर्दी मिलनी चाहिए। लेकिन नगर पालिका प्रशासन सेवा प्रदाता कंपनी से संपर्क कर उन्हें भी वर्दी मुहैया कराए। संगठन इस बारे में नगर पालिका प्रशासन को कई बार अवगत करा चुके है लेकिन उनकी इस समस्या पर अभी तक ना बार्ड पार्षदों द्वारा एबं नगर पालिका प्रशासन द्वारा इन सफाई मित्रों की वर्दी से संबंधित एवं अन्य मांगो पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया जाता है। सफाई मित्रों का कहना है कि वार्ड पार्षदों द्वारा उनसे काम तो लिया जाता है लेकिन उनकी समस्याओं का बोर्ड बैठक मे हमारी वर्दी जैसी एबम किसी भी अन्य समस्याओ का बोर्ड प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

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रिपोर्ट–कमलेश कश्यप के साथ सुरेंद्र सपेरा (ललितपुर)

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