
बांसी (ललितपुर)
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लालजी मंदिर परिसर में चल रहे पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं संगीतमय शिवमहापुराण कथा में आज कथा के क्रम में व्यास महाराज ने नारी धर्म के बारे में कथा में वर्णन किया। शिव महापुराण में वर्णन किया मां पार्वती की विदाई में व्यास ने उदाहरण देकर समझाया श्लोक-धन्या पतिव्रता नारी नान्या पूज्या विशेषत:। पावनी सर्वलोकानां सर्वपापौघनाशिनी॥ सेवते या पतिं प्रेम्णा परमेश्वरवच्छिवे। इह भुक्त्वाखिलान्भोगानन्ते पत्या शिवां गतिम्॥ मां पार्वती की विदाई सुनकर पूरा पंडाल भाव विभोर हो गया बेटी की विदाई का प्रसंग सुनाते हुए व्यास की आंखें नम हो गई। चौपाई में वर्णन किया चौपाई.- करहू सदा शंकर पद पूजा। नारी धर्म पतिदेव न दूजा नारी के लिए उसके पति के सिवा और दूसरा कोई धर्म नहीं है एक पति ही उसका परमेश्वर है पति की सेवा करना चाहिए वहीं माता सीता का उदाहरण देकर के व्यास जी ने चौपाई के माध्यम से समझाया मात-पिता गुरु सेवा कर हूं। पति रुख- लखी आयुष अनुशरहू। माता-पिता और गुरु की सेवा करने का आश्वासन दिया। वहीं पति के रुख को देखकर के जो नारी तुरंत समझ जाए पति के मन को भाप ले ऐसी नारी उत्तम कुल की मानी गई है। ऐसी नारी पूजनीय मानी गई है ऐसी नारी के दर्शन करने के लिए देवता भी आते हैं अग्नि देव, पवन देव ,वरुण देव ,सूर्य देव ,ऐसी नारी के दर्शन करके अपने आप को पवित्र मानते हैं और ऐसी नारी के चरण जिस घर में पढ़ते हैं वह घर धन्य और पवित्र हो जाता है और इस प्रसंग के साथ स्वामी कार्तिकेय जी के उत्पत्ति का वर्णन किया पार्थिव शिवलिंग निर्माण के मुख्य यजमान अशोक साहू श्रीमति शीला साहू, सतीश पुरोहित श्रीमति प्रीति, अखिलेश खरे श्रीमति सरोज, एस के सिकदर श्रीमति रेखा, कोमल यादव श्रीमति कमलेश, हरि सिंह श्रीमति साधना, रमेश सुमन श्रीमति रामदेवी सुमन, रितेश यादव यादव श्रीमति नेहा यादव रही।

रिपोर्ट–कमलेश कश्यप



