
जनपद मऊ, मोहम्मदाबाद गोहना से – विशेष रिपोर्ट
बच्चों को कृमि जनित बीमारियों से बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के तहत गुरुवार को ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (BRC) सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में क्षेत्र के सभी परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों को आगामी 11 अगस्त से शुरू होने वाले अभियान के दिशा-निर्देश और कार्ययोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
बैठक की अध्यक्षता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. अजहर ने की, जबकि मंच पर सर्वेश सिंह, रंजू मौर्य, सरोज शुक्ला समेत कई स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
डॉ. अजहर ने कहा कि बच्चों में पेट के कीड़े (कृमि) एक गंभीर समस्या है, जो न केवल उनकी सेहत बल्कि पढ़ाई और मानसिक विकास को भी प्रभावित करती है। इस बीमारी से बचाव के लिए समय-समय पर दवा खिलाना बेहद जरूरी है।
कौन-कौन पायेगा दवा की खुराक
सर्वेश सिंह ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि—
1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली (कुचली हुई) दी जाएगी।
2 से 19 वर्ष तक के बच्चों और किशोरों को पूरी गोली की एक खुराक दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह दवा सुरक्षित है और इसके सेवन से बच्चों के शरीर में मौजूद कृमि नष्ट हो जाते हैं, जिससे एनीमिया, कमजोरी और पेट की अन्य बीमारियों से बचाव होता है। अभियान के तहत विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक स्थानों पर दवा वितरण किया जाएगा।
शिक्षकों को सौंपी गई अहम जिम्मेदारी
इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी ओमप्रकाश तिवारी ने कहा कि स्कूल शिक्षक इस अभियान में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि उनके विद्यालय में पढ़ने वाला कोई भी बच्चा दवा खाने से वंचित न रह जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुहिम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि यह सीधे बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है।
अधिकारियों और शिक्षकों की मौजूदगी
कार्यक्रम में राजेश कुमार, बंसराज प्रसाद, प्रवीण सिंह, सुनील सिंह, अमित कुमार यादव, ओमप्रकाश ओझा, धनंजय सिंह समेत क्षेत्र के कई विद्यालयों के शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
बड़ा असर – बच्चों के भविष्य पर
यह अभियान न सिर्फ बच्चों को बीमारियों से बचाएगा, बल्कि उनके स्वास्थ्य, पोषण और पढ़ाई पर भी सकारात्मक असर डालेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बच्चों को समय पर कृमि नाशक दवा दी जाए तो उनकी शारीरिक क्षमता, एकाग्रता और पढ़ाई में रुचि बढ़ती है।
समाचार तक – बेबाक खबर
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस जैसे अभियान तभी सफल होंगे, जब शिक्षक, स्वास्थ्यकर्मी और अभिभावक एकजुट होकर बच्चों को समय पर दवा खिलाने की जिम्मेदारी निभाएंगे। यह महज़ एक सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि बच्चों के उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य की बुनियाद है।
रिपोर्ट- अजीत पटेल, ब्यूरो मऊ,



