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सामाजिकधर्म

सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग का किया गया निर्माण

तृतीय सावन सोमवार को श्रद्धालुओं ने बनाये 30 लाख पार्थिव शिवलिंग

ललितपुर

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 सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं श्री रूद्रमहायज्ञ आयोजन में सावन के तृतीय सोमवार को श्रद्धालुओं ने 30 लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया। प्रात:कालीन बेला में श्रीरूद्रमहायज्ञ का पीठ पूजन व पंचांग पूजन आचार्य पं पवन शास्त्री सहित अन्य वैदिक विद्वानों द्वारा किया गया।

वहीं अपराह्न में पार्थिव शिवलिंग का पूजन व महारूद्राभिषेक किया गया। पार्थिव शिवलिंग का पूजन व महारूद्राभिषेक यजमान डीजीसी राजेश दुबे, क्षेत्राधिकारी सदर अभयनारायण राय किया। तत्पश्चात श्रद्धालुओं अपने श्रीमुख से कथा श्रवण कराते हुए सदगुरूदेव परमपूज्य अनंतविभूषित चंडीपीठाधीश्वराचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी चन्द्रेश्वर गिरि जी महाराज ने कहाकि भागवद गीता के अनुसार सनातन का अर्थ होता है। जो सबसे पुराना हो। वो जो अग्नि से, पानी से, हवा से, अस्त्र से नष्ट न किया जा सके और वो जो हर जीव और निर्जीव में विद्यमान है। धर्म का अर्थ होता है जीवन जीने की कला। सनातन धर्म की जड़े आद्यात्मिक विज्ञान में है। सम्पूर्ण हिंदू शास्त्रों में विज्ञान और आध्यात्म जुड़े हुए है। यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय के उपनिषद में ऐसा वर्णन आता है कि जीवन की समस्याओ का समाधान विज्ञान से और आद्यात्मिक समस्याओ के लिए अविनाशी दर्शनशास्त्र का उपयोग करना चाहिए।

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उन्होंने कहाकि आज से हजारो साल पहले महाभारत के युद्ध मे जब अर्जुन अपने ही भाईयों के विरुद्ध लडऩे के विचार से कांपने लगते हैं, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि यह संसार एक बहुत बड़ी युद्ध भूमि है,असली कुरुक्षेत्र तो तुम्हारे अंदर है। अज्ञानता या अविद्या धृतराष्ट्र है, और हर एक आत्मा अर्जुन है। और तुम्हारे अन्तरात्मा मे श्री कृष्ण का निवास है, जो इस रथ रुपी शरीर के सारथी है। इंद्रियाँ इस रथ के घोड़ें हैं। अंहकार, लोभ, द्वेष ही मनुष्य के शत्रु हैं। उन्होंने कहाकि गुरु द्वारा जलाई गई ज्ञान की ज्वाला शिष्य की इच्छाओं को जला देती है।कृष्ण सब कुछ अर्जुन से बेहतर कर सकते हैं, पर वे अर्जुन को अपना निर्णय स्वयं लेने को कहते हैं। इसीलिए गीता जीवन निर्माण के लिए जितनी संगत है, उतनी ही जीविका निर्माण के लिए भी सुसंगत है।पूज्य सदुगुरुदेवजी के अनुसार गीता हमे जीवन के शत्रुओ से लडऩा सीखाती है,हमारा सबसे बड़ा शत्रु कोई है तो वो आलस्य, जिसकी वजह से मनुष्य अकर्मण्यता को प्राप्त होता है। गीता हमें नर से नारायण बनना सिखाती है गीता ईश्वर से एक गहरा नाता जोडऩे मे भी मदद करती है। गीता त्याग, प्रेम और कर्तव्य का संदेश देती है। गीता मे कर्म को बहुत महत्व दिया गया है। मोक्ष उसी मनुष्य को प्राप्त होता है जो अपने सारे सांसारिक कामों को करता हुआ ईश्वर की आराधना करता है। अहंकार, ईष्र्या, लोभ आदि को त्याग कर मानवता को अपनाना ही गीता के उपदेशो का पालन करना है। इस दौरा महंत बलरामपुरी,राजनारायण पुरोहित, डीजीसी राजेश दुबे, राजेन्द्र गुप्ता, भाजपा के जिला महामंत्री महेश श्रीवास्तव, ओम प्रकाश मालवीय, राम कृपाल गुप्ता, लखन यादव, अनूप मोदी, अश्विनी पुरोहित, राहुल शुक्ला, शत्रुघन यादव, संतोष साहू, दिनेश पाठक, बाबा हीरानंदगिरी, संतोष साहू, प्रदीप शर्मा आदि उपस्थित रहे।

फोटो –पूजन करते यजमान ।

रिपोर्ट –रामकुमार पटेल 

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