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विद्यालय जाने के लिए खचाखच कीचड़ में से निकलते है स्कूली ननिहाल, 

कँहा है सड़को के जाल स्कूली छात्र छत्राओं के लिए कीचड़ बना जी का जंजाल,

बिरधा / ललितपुर

 

देश जहां एक तरफ भारत अपना कदम चांद पर रख चुका है वही उसी भारत देश के बच्चे जिनको देश का भविष्य माना गया है वही बच्चे आज भी देश को इतनी तरक्की करने के बाद भी कीचड़ से भरे हुए रास्ते से गुजर कर स्कूल जाते है बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में कीचड़ से भरे हुए रास्ते से गिरते सभलते हुए विद्यालय तक पहुंचना पड़ता है आज तक इन बच्चों को जो कि देश का भविष्य कहलाते है उनको विद्यालय जाने के लिए जिम्मेदारों ने आज भी सड़क नहीं डलवा पाई। ग्रामीणों के लाख प्रयासों के बाद भी आज तक यहां पर पक्की सड़क नही बन पाई है और आज भी बच्चों को कीचड़ भरे कच्चे रास्ते से विवश होकर स्कूल पढ़ने जा रहा है। आखिर क्यों नही हो पा रहा इस गांव का विकास? आखिर किस की मनमानियों से इस गांव में अब तक पक्की सड़कें तक नहीं बनवाई गई ?किन कारणों से आज तक सरकार की नजर यहां तक नहीं पहुंच रही है?

आपको बता दे कि ललितपुर जिले के तहसील पाली अंतर्गत ग्राम बंगरिया में विकास के नाम पर बच्चों को खेलखुद का मैदान तो दूर आज तक बच्चो को जाने के लिए जिम्मेदार आलाधिकारी पक्की सड़क तक नही डलवा पा रहे है बच्चों को अपने भविष्य की ओर देखते हुए कीचड़ भरे कच्चे रास्ते से होकर जाना पड़ रहा है । बच्चे जब यहां से होकर विधालय के लिए जाते है तो उनको कच्चे रास्ते से जाते है और बच्चे अगर थोड़ा सा भी डगमग हो जाते है तो कीचड़ से कीचड़ युक्त हो जाते है सोचने वाली बात यह है कि जहां शासन प्रशासन विकास के नाम पर देश प्रदेश में चार चांद लगा रही है वही आज तक  इस गांव बंगरिया के काबर मुहल्ले के बच्चे और लोगों को पक्की सड़क नहीं मिल पा रही है आखिर यह सब किसकी मनमानियों यहां के लोगों को परेशान किया जा रहा जो यहां के स्थानीय निवासी लोगों के लाख प्रयास के बाद भी कोई भी नहीं सुनी जा रही है। यहां लोगों को यह निकलने के लिए यही एक मात्र रास्ता है जो की पूरी तरह से समस्या से जूझा हुआ है अगर यहां आपातकालीन स्थिति में किसी महिला का प्रसव कराना या फिर किसी की अचानक तबियत खराब हो जाती है तो यहां आपातकालीन वाहन भी नहीं आ पाते जिससे लोगों को चारपाई पर उसको लिटाकर करीब आधा किमी ले जाना पड़ता है। यहां के लोगो को जब अपने अनाज को अपने खेतों से लेकर घर लाना पड़ता है तो इस जोखिम भरे रास्ते से होकर लाना पड़ता है जो की खतरे से कम नहीं होता।ओ

 

स्थानीय लोगों का  कहना है….

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 हम लोगों को आज तक यहां कोई भी पक्की सड़क देखने को मिली है यहां जब थोड़ी सी वारिश हो जाती है तो पूरा रास्ता कीचड़ से भर जाता है हम लोगों को इस समय घर से बाहर निकलना काफी परेशान कर देता है ऐसे में हम बच्चो को बाहर भी नहीं निकाल पाते।

 

लखन कुशवाहा निवासी बंगरिया,

 

हम यहां जब से जन्में हुए है तब से आज तक हम यहां पक्की सड़क नहीं देख पाए है हम लोगों को चुनावी समय में खूब अच्छी मीठी बाते देखर दिलासा दिलाए जाती है कि अबकी बार आपकी सड़क को डलवा दिया जाएगा आप लोगों को कच्ची सड़के देखने को नहीं मिलयेगी चलना तो दूर की बात है इस प्रकार से हम लोगों को दिलासा दिया जाता है और आखिर में फिर हम लोगो की कोई भी सुनने भी नहीं आता।

 

ओमकार कुशवाहा स्थानीय निवासी,

 

हम लोगों के लाख प्रयास के बाद भी यहां सड़क नहीं डल पा रही है हम लोगों ने अनेकों बार ग्राम प्रधान से लेकर जिलाधिकारी और शासनीक अधिकारियों के पास तक पहुंच चुके है फिर भी कोई भी यहां सड़क डलवाना तो दूर कोई यहां देखने भी नही आता है और हम लोगो को थोड़ी सी बारिश होने के कारण से रास्ते ने कीचड़ हो जाने के कारण उस रास्ते से गुजरना पड़ता है और उसी रास्ते से हमारे बच्चों को भी स्कूल पहुंचा पढ़ता है।

 

 सीताराम कुशवाहा स्थानीय निवासी बंगरिया,

कीचड़ से निकलती स्कूली छात्रा

हमारे यहां से हम लोगों को निकले के लिए यही एक मात्र रास्ता है जिससे हम लोगो को निकालकर सारे कार्य करने के लिए गुजरना पड़ता है यहां थोड़ी सी भी अगर बारिश हो जाती है तो हम लोगों का जीवन दुश्वार हो जाता है हम लोगो को कोई भी रास्ता न होने के कारण कीचड़ युक्त 3कच्चे रास्ते से होकर गुजरकर जाना पड़ता है अगर ऐसे में किसी महिला का प्रसव कराना पड़ता है तो यहां आपातकालीन गाड़िया नही पहुंच पाती जिससे हम लोगो को चारपाई से उठाकर करीब एक किमी कंधों पर लेकर जाना पड़ता है।

भरत कुशवाहा स्थानीय निवासी बंगरिया,

 

क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी….

आपके द्वारा बंगरिया ग्राम का जो मामला संज्ञान में लाया गया उस मामले की जांच कर जल्द से जल्द कार्यवाही की जाएगी।

 

संदीप मिश्रा

विकासखण्ड अधिकारी बिरधा

 

  • रिपोर्ट- कमलेश कश्यप
  • मड़ावरा / ललितपुर
  • #samachartak

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